Sunday 5 April 2015

//// आडवाणी जी चुप - चुप ही रहें - बस चुप - 'भारत रत्न' आपकी चुप्पी चूमेगा ....////


और आखिर मोदी जी के शासनकाल में अटल जी को 'भारत रत्न' दे दिया गया ....

अटल जी चुप थे और चुप हैं - उम्र और बीमारी की वजह से - यानि मजबूरी !! .... पर मुझे लगता है कि शायद यही एक कारण बना है कि वो 'भारत रत्न' प्राप्त कर सके .... "Blessing in disguise" !!

कल्पना कीजिये कि यदि अटल जी बोलने की स्थिति में रहते और .... रामजादे और हरामजादे या लव जेहाद के मामले में एक बार मोदी जी को फिर सलाह दे देते कि राजधर्म का पालन हो - धर्मनिरपेक्षता का अनुसरण हो .. या बोल देते कि प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष एक ही राज्य के गुरु चेले देश लोकतंत्र और पार्टी के लिए सही नहीं - बोल देते कि मैं मोदी जी को कम बोलने की सलाह देता हूँ .... तो ?? .... तो क्या अटल जी को भारत रत्न मिलता ????

मेरी बात के पक्ष में एक और दलील देता हूँ - आप देखें कि आडवाणी बोलने में सक्षम रहे - और बोलते रहे - कभी जिन्ना की तारीफ कर बैठे - तो कभी मोदी के प्रधानमंत्री पद की उद्घोषणा का विरोध कर बैठे .... तो आप हश्र देखें कि अटल जी के समतुल्य आडवाणी हाशिये पर धकेल दिए गए - और अब बिना 'भारत रत्न' दिए चुप करा दिए गए !!!!

जबकि आप स्वयं आंकलन करें की अटल-आडवाणी की क्या जोड़ी थी .... दोनों एक से बढ़कर एक - बिल्कुल टक्कर के - और इसलिए मेरे हिसाब से तो जैसे कैलाश-मलाला को संयुक्त नोबेल मिला वैसे ही अटल-आडवाणी को संयुक्त 'भारत रत्न' मिलना था .... पर हाय !! ऐसा ना हुआ .... क्योंकि अटल जी चुप्पी पा गए - और आडवाणी जी बोलते रहे .... और बाोलने के अलावा एक और घातक आदत पाल बैठे - 'ब्लॉग - ब्लॉग' .... जब किसी को हड़काना हो तो डाल दिया कुछ कटाक्ष सा ब्लॉग पर .... जो बोलने से भी ज्यादा असरकारक या हानिकारक !!!!

पर अब जब #आडवाणी चुप हो गए हैं या चुप करा दिए गए हैं - भाषण देने तक के लिए रोक दिए गए हैं - बहुत दिनों से ब्लॉग भी नहीं लिख पा रहे हैं - तो मैं इसे बहुत ही सकारात्मक दृष्टि से देखता हूँ .... मैं देख रहा हूँ .. एक और गूंगा सा 'भारत रत्न' पाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है .... बस चुप्पी नहीं टूटनी चाहिए .... अंतिम सांस तक !!!! भारत रत्न आपकी चुप्पी चूमेगा !!!!

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