Monday 20 April 2015

//// यमन के पराक्रम - सुषमा जी का बखान - पर किरकिराहट क्यों ??....////


आज बजट सत्र के द्वितीय चरण के शुरू होते ही संसद में गिरिराज के बयान और भूमि अधिग्रहण बिल के कारण भारी शोर शराबे के बीच सुषमा स्वराज जी को यमन की घटनाओं का और उपलब्धियों का बखान करते सुना - जन. वी के सिंह की तारीफ सुनी .... जैसी कि मोदी जी द्वारा भी उन्हें सैल्यूट करते कल सुनी थी ....

उपलब्धियां काबिले तारीफ थीं और सुषमा स्वराज बोलतीं भी बहुत अच्छा हैं .... इसलिए उनको सुनना अच्छा तो लगा - पर मन में अलग ही विचार भी आ रहे थे ....

मैं सोच रहा था कि जब यमन में पराक्रम की पताका फहराई जा रही थी - लगभग उसी समय छत्तीसगढ़ में नक्सली मुठभेड़ों में हमारे जवान शहीद हो रहे थे .... यानि घर के बाहर शेर और घर में गीदड़ ??

और जब सुषमा जी उस पराक्रम का बखान कर रहीं थी तब पाकिस्तान से क्रॉस बॉर्डर फायरिंग और सीज़ फायर उल्लंघन भी हो रहा था - और कुछ दिन पहले ही मसरत प्रकरण में पराक्रम के बजाय घोर निराशाजनक कार्यवाही हम देख चुके हैं .... यानि कैसा पराक्रम ?? 

और फिर जन. वी के सिंह के विवादित क्रियाकलाप भी याद हो आए - जैसे कि लेटेस्ट में प्रेस्टीट्यूट वाला बयान .... यानि ऐसे व्यक्ति का क्या गुणगान ?? 

और शायद इसलिए सुषमा जी को सुनते हुए कुछ शोर तो सुनाई दे ही रहा था - पर कुछ असहजता और किरकिराहट भी महसूस हो रही थी ....

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